Friday 17 January 2020

कानपुर में दलितों के मुकदमे दर्ज न करने वाले 33 थानेदारों पर कार्रवाई











 

















कानपुर रेंज की पुलिस थानों में दलितों की सुनवाई नहीं करती है। इसका खुलासा आईजी की समीक्षा में गुरुवार को हुआ। कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुए 102 मामले में से 33 को पुलिस ने सही मानकर चार्जशीट लगा दी। आईजी ने मुकदमा दर्ज न करने वाले 33 थानेदार और चौकी इंचार्ज को परनिंदा प्रविष्टि देने का निर्देश दिया है। कार्यालय में पूरे कानपुर मंडल के दलितों के मामलों की मॉनीटरिंग करने वाले अफसरों की समीक्षा की गई। आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि कानपुर रेंज के कई थानों में दलितों की सुनवाई नहीं हुई है। 33 मामलों में पुलिस के पास गए दलितों की सुनी नहीं गई। आखिरकार परेशान होकर उन्होंने कोर्ट  का सहारा लेकर रिपोर्ट दर्ज कराई। दलितों की शिकायत सही थी। इसलिए उनके प्रार्थना पत्रों पर कार्रवाई होनी चाहिए थी। रिपोर्ट न दर्ज करने वाले थानेदार और चौकी इंचार्ज दोषी हैं। कानपुर में 24 दर्ज मामले में 11 में चार्जशीट लगाई गई। इसलिए कानपुर के 11 थाना प्रभारियों और चौकी इंचार्ज पर कार्रवाई होगी। सभी की चरित्र पंजिका में असंवेदनशीलता की बात दर्ज की जाएगी।  दलितों की हत्या व बलात्कार के मामले 2018 की अपेक्षा 2019 में कम हुए है। समय से विवेचना न करने पर 36 सीओ के खिलाफ जांच दलितों के मामलों की जांच सीओ स्तर के अफसर को दो महीने के अंदर पूरी करके देनी होती है। पूरे रेंज के 36 मामलों में दो महीने बीतने के बावजूद जांच पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में वह सीओ दोषी हैं। अब उसके खिलाफ एसपी स्तर के अफसर से जांच कराकर दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। आईजी ने बताया कि कानपुर की 10, औरैया की 14, कन्नौज की आठ, कानपुर देहात में तीन और फतेहगढ़ में एक विवेचना लंबित है। सभी विवेचना दो महीने से ज्यादा समय होने के बावजूद उसे पूरी नहीं की गई।








Labels: