Saturday 3 August 2019

सरकारी तंत्र का क्रूर सच !

संवैधानिक मूल्यों का क्षरण अगर कही देखना हो तो प्राधिकरण में देखिए। राजस्व का क्षय, अवैध सरकारी वसूली, नीति और नियमों का मरणासन्न स्वरूप विधमान है- ऐसा हम अनायास नही कह रहे है। आज दिनांक- 03.08.2019 को दोपहर लगभग 12 बजे के आस पास मैने अपनी कार पार्किग नं0 6 एक्सप्रेस रोड में खड़ी की और अपने अखबार के दफ्तर में चला गया तथा अपने कार की चाबी पार्किग संचालक के वेतनभोगी कर्मचारी को दे दी, थोड़ी देर बाद एक 12-13 साल एक लड़का मेरे दफ्तर में आया और चाबी देकर चला गया। लगभग आधे घंटे बाद जब मै अपने अखबार के दफ्तर से नीचे उतरा तो देखा कि मेरी कार पार्किंग की जगह सड़क पर खड़ी थी। गनीमत यह रही कि पुलिस उसे उठाकर नही ले गयी। अब आप इस चित्र में कार की स्थिति देखिए.



मेरा दोष सिर्फ इतना था कि वह लड़का मुझे पत्रकार के रूप में जानता है। मुझसे 20 रू0 की जगह 70 रू0 नही मांग सकता था सो इसलिए उसने मुझे मेरी औकात बता दी। उसने मुझे बताया कि यदि 70 रू0 नही दोगे तो कार पार्किग में नही सड़क पर खड़ी होगी। यही पत्रकारों की औकात है। पार्किग संचालन वर्तमान में केयर टेकर रवीन्द्र प्रकाश जी कर रहे है। उन्होने अखबार और प्रेस को यही संदेश दिया कि 20 की जगह 70 रू0 नही दोगे तो पार्किग नही मिलेगी। यह मै कानपुर के पत्रकार बन्धुओं को सर्तक रहने के लिए कर रहा हूं। बिना पर्ची 70 रू0 दे देना अन्यथा 600 रू0 का चालान होगा। प्रदीप सिंह ।