Wednesday 7 August 2019

ब्यूरोक्रेसी में व्याप्त प्रदूषण

सरकार संवैधानिक धर्म की ध्वजा वाहक है। और सरकार का प्राण तत्व है " संविधान " यदि संविधान में वर्णित अधिनियम/अनुच्छेद यदि मलीन होते है तो अनुपालक सरकार " मलिच्छ " हो जाती है। ऐसी स्थिति में प्रजा का स्वच्छ, पारदर्शी होना प्राकृतिक स्वभाव के विपरीत आचरण हो जाता है तत् समय मानवीय मूल्यों का क्षरण होने लगता है, न्याय व्यवस्था विलुप्त होने लगती है। भाषा की गम्भीरता, के साक्ष्य व तर्को से सरल बनाने का प्रयास करते हे। लेखक के मन में सरकार की गतिविधियों में मलीनता न आये इसी कारण मैने एक जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंर्तगत एक सूचना " कानपुर विकास प्राधिकरण " से मांगी, 30 दिन में सूचना उपलब्ध न होने के कारण नियमानुसार अपील की, अपील के 90 दिन बीत जाने पर राज्य सूचना आयोग नही गया। वह इसलिए कि हम यह देखना चाहते थे कि आखिर ऐसा कौन सा सच हैजो छिपाया जा रहा है की भारत की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में जो अधिनियम में पास किए हो उसके साथ कहीं क्रूर मजाक तो नही किया गया ? समयवद्व सूचना न उपलब्ध करने शंस हत्या का अपराध प्राधिकरण ने कर दिया। पहली हत्या जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 की हुई। दूसरी हत्या न्याय की हुई, तीसरी हत्या पारदर्शिता की हुई, चौथी हत्या कर्तव्य परायणता की हुई, पांचवी हत्या नैतिक जिम्मेदारी की हुई। और भी कई हत्या हुई, किन्तु इन हत्या का मुख्य अपराधी कौन है ? वह बाबू ? या क्लास 2 के अधिकारी ? या फिर प्राधिकरण के मुखिया ? वास्तविकता में ये तीनों ने शरीक जुर्म किया है। नैसर्गिक न्याय की अदालत में यह सभी जमानत पर रिहा है। किन्तु खुद को छिपाये रखने की कोशिश में न्याय और संविधान की दृष्टि में नग्न है। ये लोकतंत्र ऐसे ही जीर्णकाया के कन्धे पर सवार हैसच्चाई यह है कि भ्रष्टाचार के दीमक ने इन्हे इतना कमजोर बना दिया कि संविधान में वर्णित अनुच्छेद ही उन्हे बोझ लगने लगे है। ऐसा नही है कि सरकार में देख रेख नही हो रही है। या कहे मेन्टीनेन्स का अभाव है फिर भी सरकार भीष्म पितामह की तरह मौन है। इन्हें तो भीष्म कहना अनुचित होगा। देवव्रत से भीष्म की तप यात्रा को अपशब्द कहना होगा। हम जानते है कि किसी में यह साहस रिक्त नही कि ऐसे अपराधों को संज्ञान में लेने की ताकत व साहस शेष हो। क्योकि सरकार जनसामान्य द्वारा नियुक्त व्यक्ति नही चलाता बल्कि सरकार ब्यूरोक्रेसी चलाती है और भ्रष्टाचार का प्रदूषण इतना दमाघोटू है कि संविधान, न्याय, कानून, अधिनियम, शब्द -किताबों में शब्दकोष बन कर रह गये। अगर ऐसा नहीं होता तो प्राधिकरण हमे अब तक सूचना दे चुका होता है। क्योकि अपीलिय अधिकारी पी0सी0एस0 रैंक का अफसर होता है। सूचना न देकर क्या छिपा रहे है-पी0सी0एस0 अफसर, ? और क्यो नही अपील पर सुनवाई की ? यह एक सवाल है जो रेंगता तो हर जेहन में है किन्तु निकलता कहीं से नही।


Monday 5 August 2019

अखिल भारतवर्षीय ब्राहमण महासभा युवा प्रकोष्ठ के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पदम औदीच्य और उनके संगठन की टीम के सैकडो युवाओं ने माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के द्वारा जम्मू कश्मीर से आर्टिकल ३५ - धारा ३७० को खत्म करने पर सभी भारतदेश के लोगो को बधाई दी


अखिल भारतवर्षीय ब्राहमण महासभा युवा प्रकोष्ठ के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पदम औदीच्य और उनके संगठन की टीम के सैकडो युवाओं ने माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के द्वारा जम्मू कश्मीर से आर्टिकल ३५ - धारा ३७० को खत्म करने पर सभी भारतदेश के लोगो को बधाई दी और मिठाई एवं पटाको को फोड़कर अपना हर्ष जाहिर किया एवं सरकार के साथ साथ मोदी जी, अमित शाह जी की सराहना की.इस मौके पर बातचीत करते हुये कहा कि कश्मीरी पंडितो का जो विस्थापन हुआ था उसके लिये सरकार से मांग करते है कि कश्मीरी पंडितो को कश्मीर में पुनस्र्थापित किया जाये एवं पहले जैसा सम्मान फिर से उन्हें मिले और भारतीय सेना पर अगर अब कोई पत्थर या हमला हो तो उसे बख्शा ना जाये तथा कड़े से कई दंड का प्रावधान किया जाये. "एक देश एक कानून"से अब भारत और सशक्त एवं मजबूत बने ऐसी कामना की.इस मौके पर सौरभ अग्निहोत्री आशीष तिवारी स्वप्निल पांडे पुष्पेंद्र अवस्थी सौरभ शशांक शुक्ला गौरव मिश्रा शरद शुक्ला चंदन गोनू अनुराग मिश्रा एवं सैकड़ों लोग उपस्थित रहे.. 


Saturday 3 August 2019

जिम्मेदार कौन ?

जब समरस्ता व समन्वय का अभाव नौकरशाही में आम बात है। किन्तु जब यह संविधान और कानून ही इसके गैर जिम्मेदाराना कारणों से प्रदूषण की गिरफ्त में आ जाये तो प्रगति, विकास, उल्टे पैर विपरीत दिशा में चलने लगते है यही हो रहा है देश में। आपको इस लेख में एक चित्र नजर आ रहा  होगा


 



जो गंदगी, प्रदूषण व अतिक्रमण दिखा रहा होगा। लेकिन इसको और गहराई से देखा जाये तो यह नगर आयुक्त, केडीए वी0सी0, जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान के कर्मों का फल है जो सड़ रहा है और शहर को सुगम व व्यवस्थित बनाने के लिए कर्मयोगी समन्वय की आस मे अभावों से जूझता शहर प्रदूषण व गंदगी से बीमार हो चला है। यह वह जगह है जहां गंदगी व प्रदूषण फैला है - एशिया की सबसे महंगी योजना कैनाल पटरी की पार्किग है। इसी गंदगी के ऊपर दिन में 70 रू0 प्रति घंटा की दर से पार्किग में सरकारी वसूली होती है वह भी बिना पर्ची के। बिना पर्ची के वसूला गया धन किसके खाते में जमा होता है यह किसी को नही पता लेकिन यह जिला कलेक्टर की जिम्मेदारी है कि राजस्व का नुकसान हो रहा है लेकिन कलेक्ट्रेट के चश्मे का नम्बर ऐसी दुर्घटना को देख नही पाता है। यहां पार्किग में गंदगी कौन फैलाता किसी को पता नही। थाना हरबंश मोहाल मौन ! शहर के कप्तान साहब को पता नहीं। अब आते है  जिम्मेदार कौन ? जिम्मेदार जिम्मेदार कौन ? जिम्मेदार कौन ? कौन जिम्मेदार कौन ? नगर आयुक्त महोदय की जिम्मेदारी पर तो महोदय - आपका तो स्वास्थ्य महकमा है किंतु आप भी मौन है, केडीए वी0सी0 को तो शहर लगता ही नही है। यह पार्किग केडीए की है जो कैनाल पटरी पर है और इस पार्किग से बिना पर्ची के वूसली आपका विभाग कर रहा है। फिर भी आप मौन है। तो कौन फरिश्ता आयेगा ? जो इस दुर्घटना, गंदगी, राजस्व हानि की जिम्मेदारी लेगा। हमे लगता है कि यह जिम्मेदारी मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेनी चाहिए। क्योकि आवास व शहरी नियोजन मंत्रालय माननीय मुख्यमंत्री जी के पास ही है।


सरकारी तंत्र का क्रूर सच !

संवैधानिक मूल्यों का क्षरण अगर कही देखना हो तो प्राधिकरण में देखिए। राजस्व का क्षय, अवैध सरकारी वसूली, नीति और नियमों का मरणासन्न स्वरूप विधमान है- ऐसा हम अनायास नही कह रहे है। आज दिनांक- 03.08.2019 को दोपहर लगभग 12 बजे के आस पास मैने अपनी कार पार्किग नं0 6 एक्सप्रेस रोड में खड़ी की और अपने अखबार के दफ्तर में चला गया तथा अपने कार की चाबी पार्किग संचालक के वेतनभोगी कर्मचारी को दे दी, थोड़ी देर बाद एक 12-13 साल एक लड़का मेरे दफ्तर में आया और चाबी देकर चला गया। लगभग आधे घंटे बाद जब मै अपने अखबार के दफ्तर से नीचे उतरा तो देखा कि मेरी कार पार्किंग की जगह सड़क पर खड़ी थी। गनीमत यह रही कि पुलिस उसे उठाकर नही ले गयी। अब आप इस चित्र में कार की स्थिति देखिए.



मेरा दोष सिर्फ इतना था कि वह लड़का मुझे पत्रकार के रूप में जानता है। मुझसे 20 रू0 की जगह 70 रू0 नही मांग सकता था सो इसलिए उसने मुझे मेरी औकात बता दी। उसने मुझे बताया कि यदि 70 रू0 नही दोगे तो कार पार्किग में नही सड़क पर खड़ी होगी। यही पत्रकारों की औकात है। पार्किग संचालन वर्तमान में केयर टेकर रवीन्द्र प्रकाश जी कर रहे है। उन्होने अखबार और प्रेस को यही संदेश दिया कि 20 की जगह 70 रू0 नही दोगे तो पार्किग नही मिलेगी। यह मै कानपुर के पत्रकार बन्धुओं को सर्तक रहने के लिए कर रहा हूं। बिना पर्ची 70 रू0 दे देना अन्यथा 600 रू0 का चालान होगा। प्रदीप सिंह ।